Wednesday

सारांश सक्सेना

भूलेंगे न कभी तुम्हे जो तुमने पल दिए ,
यूँ दोस्ती का वास्ता देकर वो चल दिए ।

जब जब चला साथ तू लगता था सब नया,
जब से गया है दूर तो लगता है सब गया,
रखेंगे साथ हम सभी आंसू काज़ल दीये,
यूँ दोस्ती का वास्ता .............................

जब देखता था दिल तुझे होती थी इक ख़ुशी,
अब उस ख़ुशी के दौर ने कर ली है खुदखुशी,
मेरे उलझे से सवालों के तूने हंस के हल दिए,
यूँ दोस्ती का वास्ता .......................

Friday

चित्रांश सक्सेना

हमने पत्थर को कभी देवता नही माना,
खुदा कहते हैं किसको ये तक नही जाना ।
अपनी किस्मत से इतना प्यार मिला हमको,
कि माँ बाप से ऊपर किसी को नही माना ।।

चित्रांश सक्सेना

कल तो बस एक छोटा सा अल्फाज़ ही है,
जो कुछ भी है वो तो हमारा आज ही है ।
बाटोगे प्यार या खुशी तो कुछ नहीं जायेगा,
वरना गम देना तो जमाने का काज ही है ॥

चित्रांश सक्सेना

झूट बोला था जब, नजरें मिलायी नही ।
आज बोला जो सच नजरें उठाई नहीं ।।

पास जब भी गये दूर से ही रहे,
कुछ भी कहने की हिम्मत जुटाई नहीं।

गलत थे हम ये जानते थे सभी,
पर किसी ने भी गलती बताई नहीं।

दूर थी अपनी मंजिल पता था हमें,
फिर भी दूरी किसी को दिखाई नहीं।

गुज़ारिश तो कश्तियों ने समन्दर से भी की,
पर समन्दर ने किसी की भी मानी नहीं।

जाने क्या क्या सुने इस जमाने से हम,
फिर भी नफरत की फसलें उगाई नहीं।

चित्रांश सक्सेना

कभी कभी मैं सोचता हूँ ख्वाब क्यू देखू,
जो मेरे बस मे नही है वो बात क्यू देखू।
ये तो फितरत है आईने की टूट कर चुभना,
तो उस आईने को फेक कर क्यू देखू ॥

चित्रांश सक्सेना

वो दोस्त ही है जो कुछ नही कहता है,
और जब कहता है तो चुप नही रहता है।
तारे तो आसमा मे बहुत से होते हैं,
पर हमेशा चाँद उनका एक ही रहता है॥

Saturday

निदा फ़ाज़ली...

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,
कहीं ज़मी तो कहीं आसमा नहीं मिलता


जिसे भी देखिये वो अपने आप में ग़ु है
,
जुबा मिली है मगर हम जुबा नहीं मिलता


बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले
,
ये ऐसी आग है जिसमे धुआं नहीं मिलता

तेरे जहां में ऐसा नहीं के प्यार हो
,
जहा उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता



चित्रांश सक्सेना



एक उम्मीद ही तो है जो साथ रहती है
इसी से अपने होसलों में जान रहती है 
चमकते तो जुगनू भी हैं रात में लेकिन
सितारों की अपनी अलग पहचान होती है।

डा. विष्णु सक्सेना...

मैं वहीं पर खड़ा तुमको मिल जाऊँगा,
जिस जगह जाओगे तुम मुझे छोड़ कर

अश्क पी लूँगा और ग़म उठा लूँगा मैं
,
सारी यादों को सो जाऊंगा ओढ़ कर
।।

जब भी बारिश की बूंदें भिगोयें तुम्हें
सोच लेना की मैं रो रहा हूँ कहीं,
जब भी हो जाओ बेचैन ये मानना
खोल कर आँख में सो रहा हूँ कहीं,
टूट कर कोई केसे बिखरता यहाँ
देख लेना कोई आइना तोड़ कर;

मैं वहीं पर खड़ा तुमको.......



रास्ते मे कोई तुमको पत्थर मिले

पूछना कैसे जिन्दा रहे आज तक,

वो कहेगा ज़माने ने दी ठोकरें

जाने कितने ही ताने सहे आज तक,

भूल पाता नहीं उम्रभर दर्द जब

कोई जाता है अपनो से मुंह मोड़ कर;

मैं वहीं पर खड़ा तुमको......


मैं तो जब जब नदी के किनारे गया
मेरा लहरों ने तन तर बतर कर दिया,
पार हो जाऊँगा पूरी उम्मीद थी
उठती लहरों ने पर मन में डर भर दिया,
रेत पर बेठ कर जो बनाया था घर
आ गया हूँ उसे आज फिर तोड़ कर
;

मैं वहीं पर खड़ा तुमको.......

Friday

राहत इन्दौरी...

वफ़ा को आज़माना चाहिए था हमारा दिल दुखाना चाहिए था,
आना आना मेरी मर्ज़ी है तुमको तो बुलाना चाहिए था |

हमारी ख्वाहिश एक घर कि थी उसे सारा ज़माना चाहिए था,
मेरी आँखें कहा नम हुई थी समुन्दर को बहाना चाहिए था|

जहा पर पहुँचना मैं चाहता हूँ वहाँ पे पहुँच जाना चाहिए था,
हमारा ज़ख्म पुराना बहुत है चारागर भी पुराना चाहिए था |

मुझसे पहले वो किसी और कि थी मगर कुछ शायराना चाहिए था,
चलो माना ये छोटी बात है पर तुम्हे सब कुछ बताना चाहिए था |

तेरा भी शहर में कोई नहीं था मुझे भी एक ठिकाना चाहिए था,
हैं किसी को किस तरह से भूलते हैं तुम्हे मुझको सिखाना चाहिए था |

ऐसा लगता है लहू में हमको कलम को भी डूबना चाहिए था,
अब मेरे साथ रह के तंज़ कर तुझे जाना था जाना चाहिए था |

क्या बस मैंने ही कि है बेवफाई जो भी सच है बताना चाहिए था,
मेरी बर्बादी पे वो चाहता है मुझे भी मुस्कुराना चाहिए था |

अब ये ताज किस काम का है हमे सर को बचाना चाहिए था,
उसी को याद रखा उम्र भर जिसको भूल जाना चाहिए था |

मुझसे बात भी करनी थी उसको गले से भी लगाना चाहिए था,
उसने प्यार से बुलाया था हमे मर के भी आना चाहिए था |

तुम्हे उसे पाने के खातिर कभी खुद को गवाना चाहिए था !!

Is poetry realy live in todays fast running life?

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