Saturday

वो तो बातें बनाते रहे....

"वो तो बातें बनाते रहे...."


वो तो बातें बनाते रहे, और हम मुस्कराते रहे । 
दूर से देख कर ही उन्हें, दिन में सपने सजाते रहे॥ 

दिल को समझाया सपना ही है,
पर वो समझा कि अपना ही है । 
मैंने बोला है मुश्किल बड़ा,
पर वो बोला ये करना ही है ॥ 
उसकी ज़िद को छुपाते रहे, और हम मुस्कराते रहे ॥ 

उनसे बातें ना करने मिलीं,
थोड़ी मायूसियाँ तब मिलीं,
बहते पानी में जैसे हो कि 
अपनी कश्ती ही ठहरी मिली,
फिर भी कश्ती सजाते रहे, दिल को सपने दिखाते रहे ॥ 

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Is poetry realy live in todays fast running life?

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