इस और जाता कभी उस और जाता
और चलते-चलते अचानक ही रुक जाता
कोई जब पूछता सवाल मुझसे
मैं कुछ नहीं कह पाता
हर कदम पर मैं खुद को
क्यों इतना असहाय पता हूँ
इस सवाल का जबाब शायद हो "तुम "
"तुम " जबसे मेरी जिन्दगी मैं हो आई
मेरे साथ रहती है तुमारी परछाई
जब भी मैं अकेला होता हूँ
तुमारे ही खयालो मैं खोता हूँ
तुम मुझसे नहीं कुछ कहती हो
पर एक अहसास बन कर
मेरे साथ रहती हो
तुम मुझसे हमेशा दूर रहती हो
लेकिन ना जाने क्यों ऐसा लगता है
की आँखों ही आँखों मैं मुझसे कुछ कहती हो
क्या कर दिया ये तुमने की
मैं हर पल बेचैन रहता हूँ
दिन रात ये दर्द हमेशा सहता हूँ
क्यों है मुझे तुम से इतना प्यार
की हर जीत के बाद भी महसूस होती है
अपनी हार
समझ मे मेरे नहीं कुछ आता है
ये मेरे तुमारे बीच क्या नाता है
की मेरे मन मे उठता है ये भावनाओ का भंवर
और मैं किसी से कुछ कह भी नहीं सकता मगर
पर शायद तुमारी आंखें कहती हैं मुझसे
की मैं प्यार तुम्ही से करती हूँ
पर इस समाज से डरती हूँ
और ये युक्ति की समाज खिलाफ है इस प्यार के
मेरी समज से बाहर है
प्यार को त्याग और बलिदान से सींचा जाता है
ये एक ऐसी डोर है जिसे साथ मिलके खीचा जाता है
समाज की निरी कुरीतियों को ठुकराते हूँए
ऐसे समाज को तिरस्कार है
जो कृष्ण को तो पूजते हैं
और प्यार से इंकार है
रहती है मुझे हमेशा एक आस
की तुम लौटोगी एक दिन मेरे पास
और हाँ कहोगी की मुझे भी है तुम से प्यार
तुम ही ने तो झीना है मेरे
दिल का करार
पर हाँ शायद ये है एक कल्पना
और एक मैं था जो मान बैठा था
तुम्हे अपना
जानता हूँ तुम मुझसे दूर जाओगी
और ये साथ छूटेगा एक दिन
ये प्यारा सा अहसास टूटेगा एक दिन
लेकिन तुम याद बन कर हमेशा
मेरे मन मे रहोगी
मैं तुम से ऐसे ही बात करता रहूँगा
और तुम तब भी कुछ ना कहोगी
पर रखना ये याद हमेशा
की एक लड़का था
जो , हमेसा मुस्कुराता था
और कुछ गुनगुनाता था
जो करता था तुम्हें बहूँत प्यार
और करता रहा था तुम्हारा इंतजार
वो हमेशा तुम से इतना ही प्यार करेगा
पर अब कभी कुछ नही कहेगा
कोई शिकायत नहीं तुमसे
बस प्यार ही और हमेशा रहेगा ...........हमेशा रहेगा