कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,
कहीं ज़मी तो कहीं आसमा नहीं मिलता ।
जिसे भी देखिये वो अपने आप में ग़ुम है,
जुबा मिली है मगर हम जुबा नहीं मिलता ।
बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले,
ये ऐसी आग है जिसमे धुआं नहीं मिलता ।
तेरे जहां में ऐसा नहीं के प्यार न हो,
जहा उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता ।
Saturday
निदा फ़ाज़ली...
Posted by chitransh at 10:47 AMचित्रांश सक्सेना
Posted by chitransh at 8:13 AMडा. विष्णु सक्सेना...
Posted by chitransh at 5:21 AMमैं वहीं पर खड़ा तुमको मिल जाऊँगा,
जिस जगह जाओगे तुम मुझे छोड़ कर।
अश्क पी लूँगा और ग़म उठा लूँगा मैं,
सारी यादों को सो जाऊंगा ओढ़ कर ।।
जब भी बारिश की बूंदें भिगोयें तुम्हें
सोच लेना की मैं रो रहा हूँ कहीं,
जब भी हो जाओ बेचैन ये मानना
खोल कर आँख में सो रहा हूँ कहीं,
टूट कर कोई केसे बिखरता यहाँ
देख लेना कोई आइना तोड़ कर;
मैं वहीं पर खड़ा तुमको.......
रास्ते मे कोई तुमको पत्थर मिले
पूछना कैसे जिन्दा रहे आज तक,
वो कहेगा ज़माने ने दी ठोकरें
जाने कितने ही ताने सहे आज तक,
भूल पाता नहीं उम्रभर दर्द जब
कोई जाता है अपनो से मुंह मोड़ कर;
मैं वहीं पर खड़ा तुमको......
मैं तो जब जब नदी के किनारे गया
मेरा लहरों ने तन तर बतर कर दिया,
पार हो जाऊँगा पूरी उम्मीद थी
उठती लहरों ने पर मन में डर भर दिया,
रेत पर बेठ कर जो बनाया था घर
आ गया हूँ उसे आज फिर तोड़ कर;
मैं वहीं पर खड़ा तुमको.......
Friday
राहत इन्दौरी...
Posted by chitransh at 12:35 AMवफ़ा को आज़माना चाहिए था हमारा दिल दुखाना चाहिए था,
आना न आना मेरी मर्ज़ी है तुमको तो बुलाना चाहिए था |
हमारी ख्वाहिश एक घर कि थी उसे सारा ज़माना चाहिए था,
मेरी आँखें कहा नम हुई थी समुन्दर को बहाना चाहिए था|
जहा पर पहुँचना मैं चाहता हूँ वहाँ पे पहुँच जाना चाहिए था,
हमारा ज़ख्म पुराना बहुत है चारागर भी पुराना चाहिए था |
मुझसे पहले वो किसी और कि थी मगर कुछ शायराना चाहिए था,
चलो माना ये छोटी बात है पर तुम्हे सब कुछ बताना चाहिए था |
तेरा भी शहर में कोई नहीं था मुझे भी एक ठिकाना चाहिए था,
हैं किसी को किस तरह से भूलते हैं तुम्हे मुझको सिखाना चाहिए था |
ऐसा लगता है लहू में हमको कलम को भी डूबना चाहिए था,
अब मेरे साथ रह के तंज़ न कर तुझे जाना था जाना चाहिए था |
क्या बस मैंने ही कि है बेवफाई जो भी सच है बताना चाहिए था,
मेरी बर्बादी पे वो चाहता है मुझे भी मुस्कुराना चाहिए था |
अब ये ताज किस काम का है हमे सर को बचाना चाहिए था,
उसी को याद रखा उम्र भर जिसको भूल जाना चाहिए था |
मुझसे बात भी करनी थी उसको गले से भी लगाना चाहिए था,
उसने प्यार से बुलाया था हमे मर के भी आना चाहिए था |
तुम्हे उसे पाने के खातिर कभी खुद को गवाना चाहिए था !!