"क्यूँ हैं...."
लोग
हर मोड पर सबको परखते क्यूँ हैं,
इतना
डरते हैं तो घर से निकलते क्यूँ हैं।
दिल
से मिलने की तम्मना ही नही सबको,
लोग
फिर हाथ से हाथ को मिलाते क्यूँ हैं।
करता
हूँ प्यार से हस कर के सभी से बातें,
जाने
फिर लोग मेरी हसी से जलते क्यूँ हैं।
जानते
हैं सभी डूब जाती है कागज की नाव,
लोग
फिर नाव को बारिश मे बहाते क्यूँ हैं।