" पापा..."
कभी न हमको कुछ बतलाया कैसे हर गम सहते हो,
पापा तुम ही हो सबकी ख्वाइश जो पूरा करते हो।
रोज ज़िन्दगी तुम्हे सताती,
फिर भी तुम चुप रहते हो,
खुद से ज्यादा सबकी परवाह,
कैसे तुम कर लेते हो,
तुम ही हो सबके सपनो में कैसे खुश रह लेते हो।
पापा तुम ही हो सबकी ख्वाइश जो पूरा करते हो..
खुद को हरा कर हमें जिताना,
ऐसा भी तुम करते हो।
जब भी मुश्किल हम पर आती,
ढाल सा बनके चलते हो।
तुम ही हो जो भरी दोपहरी मे कैसे भग लेते हो।
पापा तुम ही हो सबकी ख्वाइश जो पूरा करते हो..
बाहर से तो सख्त हो दिखते,
पर अंदर नम रहते हो।
डाँटके हमको इतना तुम क्यों,
घंटों खुद चुप रहते हो ।
तुम भीतर नम रहकर बाहर से कैसे हस लेते हो ।
पापा तुम ही हो सबकी ख्वाइश जो पूरा करते हो..
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