जाने क्यों इस जगह से भर गया है मन,
जाने क्यों दिल में है तन्हाईयाँ और आँखों में सूनापन.
जाने क्यों अब अपने अपनों से नहीं लगते,
जाने क्यों अब कस्मे वादे सपनो से लगते.
जाने क्यों अपनों के लिए सर झुकाने का मन नहीं करता,
जाने क्यों दर्द में भी मुस्कराना है पड़ता.
जाने क्यों आ गयी हैं है ये दूरियां,
जानू न क्यों है और क्या कभी मिटेंगी ये दूरियां |
जाने क्यों दिल में है तन्हाईयाँ और आँखों में सूनापन.
जाने क्यों अब अपने अपनों से नहीं लगते,
जाने क्यों अब कस्मे वादे सपनो से लगते.
जाने क्यों अपनों के लिए सर झुकाने का मन नहीं करता,
जाने क्यों दर्द में भी मुस्कराना है पड़ता.
जाने क्यों आ गयी हैं है ये दूरियां,
जानू न क्यों है और क्या कभी मिटेंगी ये दूरियां |
8 comments:
thank u Chitransh for posting my poem on your blog. i hope people will like it.
wonderful composition,hmmm..
zindagi me kyun itni gumsum ho,jaaneman???
itz a rly nic one!
clearly reflects the writing skill of my friend.
and i must say a very heart touching and marvellous composition indeed! :)
i neva knew my frens adi has d flair of writing too!!
i truely associate myself wid ur poem adi..thanx 4 composing my feelings in a nutshell..
Excellent.
I was not aware of your this talent.
You can also start your blog.
Prakash
fantastic...
congrats...
its fresh , you people have written some lines so well...i was touched to read it
Post a Comment