Wednesday

सारांश सक्सेना

भूलेंगे न कभी तुम्हे जो तुमने पल दिए ,
यूँ दोस्ती का वास्ता देकर वो चल दिए ।

जब जब चला साथ तू लगता था सब नया,
जब से गया है दूर तो लगता है सब गया,
रखेंगे साथ हम सभी आंसू काज़ल दीये,
यूँ दोस्ती का वास्ता .............................

जब देखता था दिल तुझे होती थी इक ख़ुशी,
अब उस ख़ुशी के दौर ने कर ली है खुदखुशी,
मेरे उलझे से सवालों के तूने हंस के हल दिए,
यूँ दोस्ती का वास्ता .......................

1 comments:

Kavi Dr. Vishnu Saxena said...

kajal diye, khudkashi ko sahee kar lo baki sab theek hai

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Is poetry realy live in todays fast running life?

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