Friday

चित्रांश सक्सेना

हमने पत्थर को कभी देवता नही माना,
खुदा कहते हैं किसको ये तक नही जाना ।
अपनी किस्मत से इतना प्यार मिला हमको,
कि माँ बाप से ऊपर किसी को नही माना ।।

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Is poetry realy live in todays fast running life?

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