Friday

राहत इन्दौरी...

वफ़ा को आज़माना चाहिए था हमारा दिल दुखाना चाहिए था,
आना आना मेरी मर्ज़ी है तुमको तो बुलाना चाहिए था |

हमारी ख्वाहिश एक घर कि थी उसे सारा ज़माना चाहिए था,
मेरी आँखें कहा नम हुई थी समुन्दर को बहाना चाहिए था|

जहा पर पहुँचना मैं चाहता हूँ वहाँ पे पहुँच जाना चाहिए था,
हमारा ज़ख्म पुराना बहुत है चारागर भी पुराना चाहिए था |

मुझसे पहले वो किसी और कि थी मगर कुछ शायराना चाहिए था,
चलो माना ये छोटी बात है पर तुम्हे सब कुछ बताना चाहिए था |

तेरा भी शहर में कोई नहीं था मुझे भी एक ठिकाना चाहिए था,
हैं किसी को किस तरह से भूलते हैं तुम्हे मुझको सिखाना चाहिए था |

ऐसा लगता है लहू में हमको कलम को भी डूबना चाहिए था,
अब मेरे साथ रह के तंज़ कर तुझे जाना था जाना चाहिए था |

क्या बस मैंने ही कि है बेवफाई जो भी सच है बताना चाहिए था,
मेरी बर्बादी पे वो चाहता है मुझे भी मुस्कुराना चाहिए था |

अब ये ताज किस काम का है हमे सर को बचाना चाहिए था,
उसी को याद रखा उम्र भर जिसको भूल जाना चाहिए था |

मुझसे बात भी करनी थी उसको गले से भी लगाना चाहिए था,
उसने प्यार से बुलाया था हमे मर के भी आना चाहिए था |

तुम्हे उसे पाने के खातिर कभी खुद को गवाना चाहिए था !!

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