मैं वहीं पर खड़ा तुमको मिल जाऊँगा,
जिस जगह जाओगे तुम मुझे छोड़ कर।
अश्क पी लूँगा और ग़म उठा लूँगा मैं,
सारी यादों को सो जाऊंगा ओढ़ कर ।।
जब भी बारिश की बूंदें भिगोयें तुम्हें
सोच लेना की मैं रो रहा हूँ कहीं,
जब भी हो जाओ बेचैन ये मानना
खोल कर आँख में सो रहा हूँ कहीं,
टूट कर कोई केसे बिखरता यहाँ
देख लेना कोई आइना तोड़ कर;
मैं वहीं पर खड़ा तुमको.......
रास्ते मे कोई तुमको पत्थर मिले
पूछना कैसे जिन्दा रहे आज तक,
वो कहेगा ज़माने ने दी ठोकरें
जाने कितने ही ताने सहे आज तक,
भूल पाता नहीं उम्रभर दर्द जब
कोई जाता है अपनो से मुंह मोड़ कर;
मैं वहीं पर खड़ा तुमको......
मैं तो जब जब नदी के किनारे गया
मेरा लहरों ने तन तर बतर कर दिया,
पार हो जाऊँगा पूरी उम्मीद थी
उठती लहरों ने पर मन में डर भर दिया,
रेत पर बेठ कर जो बनाया था घर
आ गया हूँ उसे आज फिर तोड़ कर;
मैं वहीं पर खड़ा तुमको.......
18 comments:
सुंदर भाव वाली रचना ,बधाई
मार्मिक रचना दिल को छू गयी बहुत बहुत बधाई
meree rachana apane blog par dalane ke liye dhanyavaad
विष्णु जी
आपकी कविताएं पिछले 10 सालों से सुन, पढ रही हूं जब भी, जहां भी मौका मिलता है.
आपकी कविताएं मन की किसी कोने को छू जाती है, जैसे सिर्फ पढने वाले के लिये ही लिखी गई है. आपकी प्रशंसा करने के लिये मेरे पास सही शब्द नहीं है,
धन्यवाद
आपकी कविताओं को लेकर, एक बार आपसे बात करना चाहती हूं. आप मेरे लिए मार्गदर्शक से कम नहीं. कृ्प्या बताएं क्या यह संभव है.
मेरी गीतों की प्रशंसा के लिए धन्यवाद|मुझसे बात करने के लिए मेरा नंबर है ०९०२७०२७२६०. आप किस शहर से ताल्लुक रखती हैं ,क्या आप भी कविताये लिखती हैं?
मैं दिल्ली शहर से हूँ. एक वैदिक ज्योतिषी हूं, और लोगों को ज्योतिषिय सलाह इन्टरनेट के माध्यम से देती हूं. कविता लेखन का गुण मुझमें नहीं है. बहुत समय पहले 2-4 कविताएं लिखी थी. जो मेरी काँलिज मैगजिन में छपी भी थी. परन्तु कविताएं लिखने से अधिक मुझे पढना पसन्द है. शायद यह मेरा स्वयं को इस कार्य में हीन समझना है. आप को सब टी.वी. के "वाह-वाह" कार्यक्रम में मेनें सबसे पहले सुना था. उस कार्यक्रम के सभी भाग मेंने देखे, सचमुच उस कार्यक्रम में आपको निरन्तर सुनना किसी ख्वाब के पूरे होने जैसा था.
तब से अभी तक मैंने आपकी लिखी कविताओं को पुस्तक रुप में पाने की बहुत कोशिश की. दिल्ली के सभी मुख्य पब्लिसर से पता किया. जब भी मौका मिलता है. पर मेरी सारी कोशिशे नाकाम हुई. ऎसा लग रहा था कि मेरी तलाश पूरी नहीं होगी......
फिर एक दिन मैने इन्टरनेट पर आपका नाम डालकर सर्च किया और भगवान ने पूरी सबसे बडी इच्छा सुन ली.
आपके साथ-साथ भगवान को भी धन्यवाद की आज मेरे पास आपका नंबर है.
bahur hi khoobsurat shabon main jaddi hui composition hai, bhavpuran peotry hai.. padne ka subhagyea mila.. shukargujar hun..
आपकी कविता का संग्रह प्राप्त करना चाहती हूँ, और संग्रह पर आपके हस्ताक्षर भी हो तो, मेरी एक पुरानी इच्छा पूरी होगी. क्या आप ऐसा करेंगे...
apse sampark kese kiya ja sakata hai. apka koi address ya email id ho to soochit kare ....
sir,
mera mail id " rekhakalpdev@gmail.com " hai
mai aapakI mail ka wait karungi....
Rekha Kalpdev
सर आपने कोन कोन सी किताबे लिखी हैं व किस प्रकाशन से प्रकाशित हुई हैं कृपा कर बताएं आज तक आपकों काव्य मंचों पर ही सुना हैं अब पढ़ना चहता हूँ।और जल्दी बताएं में इस रविवार को पुस्तक मेले में जा रहा हूँ। वहां उम्मीद हैं आपकी कृतिया अवश्य मिल जाएगी
Kya likhte hai sir aap aapke har 1 shabd muje sochne ko majbur kar dete hai.....muje shukun milta aapki kavita sun kar aur padkar...
परम आदरणीय श्रद्धेय सक्सेना साहब 2010 के आस-पास मै आपको नेट की दुनिया मे खोज पाया तब से जेहन मे जब भी कविता आती है तो सिर्फ और सिर्फ एक शख्श डॉ विष्णु सक्सेना ही याद आते हैं
आपकी कविताओं को मैने एक बार मंच से गाया भी है काफी तारीफ मिली।
स्पेशल तो सब है परंतु काव्यांजलि की लगभग हर लाइन याद है और रेत पर नाम...मेरा सबसे प्रिय और पसंदीदा है
मिलने का अवसर एक बार अवश्य दें
यादवेन्द्र प्रताप मिश्र जौनपुर यूपी
9721700989
ईश्वर आपको सदैव स्वस्थ रखे यही कामना है हमारी।
आपको जब भी सुना
जब भी पढ़ा तो खुद को खो दिया आपकी कविता
में
यक़ीनन आप बहुत खूबसूरत लिखते है।
क्या मैं आपसे संपर्क कर सकता हूँ?
सर् में मनीष कुमार गौड़
एक छोटे से गांव काँसोटी खेड़ा बाडी धौलपुर राजस्थान से हूं मैंने बहुत कवियों को सुना सभी अच्छा काव्य पाठ करते हैं।लेकिन आपको सुनकर पता नही क्यूँ मुझे मेरे मन को बहुत शांति का आभास होता है। मैंने आपकी हर एक कविता गीत सुने है.....मुझे एक से बढ़कर एक लगे
और मुझे आपसे मिलने का मौका मिले तो में अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा
मेरा फोन -7792047709
हजारों बार कविता सुनकर भी मन नहीं भरता.... ऐसा ओज ;उत्साह.... काबिले तारीफ दिल को छू गई सर
Parnam Dr. Sahab
Maine apki rachna ko ek Manch pe padhai..logo ne khoob tali bajaie...
Phir maine apka nam Lia aur kaha ki unk liye b Talia baja dijiye ..jinone ye Kavita likhi h..maine apka nam Lia..such me Dr. Sahab apk Shabd Dil Ko chhu jate hai...
Mai bhi likhta hu...but padya me...
Meri likhi hui Bhojpuri me 2 movie shoot hone ja Rahi h...Feb me...
Mai SUCHNA nideshalya lucknLu me senior assttassi k pad pe karyarat hu...
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