"खुद ही संभल लिये...."
बदले
जो रास्ते तो सभी लोग बदल लिये,
खुश
रहने की खातिर हम भी बदल लिये ।
देख
के जज़्बा हमारा, इतना डरे सभी कि,
काँटे
भी अब तो राह के फूलों मे ढल लिये।
हसते
रहे मुसीबतों मे बेखौफ इतने हम,
कि
मुसीबतों ने खुद ही रास्ते बदल दिये।
ढूंडा
हमने भीड मे अपनो को इस कदर,
इतना
चले कि हम खुद ही संभल लिये।
1 comments:
bahut acha laga ye composition. it is very motivating and encouraging! every stanza is unique and speaks volume! kya baat hae :)
-Aditi
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