Saturday

चित्रांश सक्सेना


"कुछ नहीं है...."

बातें तो बनाता है बहुत करता कुछ नहीं है,
दिल भी बडा पागल है सुनता कुछ नहीं है॥

सपने तो दिखाता है बहुत,
नींदें भी उड़ाता है बहुत,
कागज के कुछ टुकड़ों से
वो नाव बहाता है बहुत ।
जब बोलो कुछ करने को तब सुनता नहीं हैं,
बातें तो बनाता है बहुत करता कुछ नहीं है ।

यूँ लड़ता भी बहुत है
और रोता भी बहुत है,
जब आये वो अपने पर
तो सुनता भी बहुत है
खुद रो लेगा अन्दर ही पर रुलाता नहीं हैं,
बातें तो बनाता है बहुत करता कुछ नहीं है।

सपनों को संजोता है,
नींदों को भिगोता है,
यादों के समन्दर मे,
पलकों को डुबोता है।
जब यादों मे खोता है तो कुछ कहता नहीं है,
बातें तो बनाता है बहुत करता कुछ नहीं है ।

1 comments:

debkumar said...

very thoughtful and seriously great job done...!!!!

ise padh ke bas ek hi cheez zabaan oe ati hae..."waah waah !!!!!

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Is poetry realy live in todays fast running life?

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